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प्यारी प्रगीत: विकास तंवर खेड़ी

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Poem :Vikash Tanwar Kheri काव्य दिवस पर विशेष विकास तंवर खेड़ी द्वारा " निकली वीरांगना सीना तान, जिसे देख के आंखें ठहर गई। जिसे सुना तो पब्लिक मुखर गई, एक भाव भंगिमा बदल दे जो वो श्याही सी मन पर छिटक गई, जिसके सुन बोल हुए सब गोल गले से वाह वाह निकरे बोल, पवित्र शब्दो की गंग में नहा , एक चमक सी मय में निखर गई, कवि के मुख की सरस्वती, हरसा दे वो जो भाग्य वती, छिटका दे सबकी खोल मति, बन काव्य सुरों को सटक गई। बन प्रतिमा सत्य की उतरी जो कभी हर्सन, रोदन, सौंदर्य भरी, कभी लगे चुटुकला ठठे का, कभी लगे राज्य की फूल परी, कवि ओजी सक्ति सी  हरी भरी जो करके_ चली सिखाने जीवन को विकास तंवर मैं लूं जीव्य समर, मेरे मन के इस दिव्य धन को। काव्य रूपी दिव्य मंथन को। " 21मार्च 2022 विश्व काव्य दिवस पर विकास तंवर खेड़ी