आओ तुम्हे नया गीत सुनाता हूँ।

जाने क्या होगा इस जमाने का
सोंच कर हर बार  मुस्कुराता हूँ
आओ तुम्हे एक नया गीत सुनाता हूँ,
आओ तुम्हें तुम्हें नया गीत सुनाता हूँ,

ओरिजनल से हो गया जमाना वरचुवल,
कास कोई आँसू मेरे कर देता वरचुवल,
कास कोई खुशियां कर देता डिजिटल,
सुकूँ मिले कुछ मै इंसा यही चाहता हूँ,

खुद को भी देखिए आप अपने
करिये वैसा जैसे हैं सपने
बदलते जमाने में मैं भी बदल जाता हूँ
ऐसा नहीं कि आप को भुलाता हूँ।

जुड़े हैं हजारों लोग कई मंचो पे,
सैंकड़ो से लाइक किया जाता हूँ,
इंटरनेट पे हूँ पॉपुलर काफी,
बदली हुई हवा से ख़ौफ़ खाता हूं ,

हो जाता है ट्रेंड कुछ पहन लूं तो
मजबूरियों पे ट्रोल किया जाता हूँ
उदासी ना पसंद लोग करते है ,
 अकेला हूँ, जबकि कितनों से फॉलो किया जाता हूँ,

जीने के मायने बदल गए कितने,
दूर रहने लग गए लोग अपने,
अकेले पन की न लगे आदत सब को
विकास बार बार अपनी याद दिलाता हूं।

कविता:विकास तंवर खेड़ी
# कविता विकास तंवर
#poem vikash tanwar
#नया गीत

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