संदेश

अगस्त, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
#htgnal.blog5:00-07:00&maxr> ब्क लिए लिंक प्रेस करें #विकास तं

#महान क्रांतिकारियों की ओरिजनल तस्वीरें जी क्या आप पहचानते हैं ? :विकास तंवर खेड़ी

चित्र
Will you identifie them?? अमर शहीद हमारी प्रेरणा हैं। जब भी मैं खुद को हारा या कमजोर महसूस करता हूं। इन महान लोगों की तस्वीरे देखता हूं। मुझे उनकी बचपन में पढ़ी हुई गौरव गाथाएं याद आ जाती हैं। वो क्या चीज के, किस मिट्टी के बने थे क्या कलेजा था उनका, हम भी उसी मिट्टी से पैदा हुए हैं। तो कौनसी चीज है जो हमे पीछे खींचती है। मेहनत लगन और सही दिशा में किए गए सही प्रर्याश हमे कहीं भी ले जा सकते हैं। (Vikash Tanwar Kheri says and requested to all of you.use original pics of freedom fighters.)                     चंदर शेखर आजाद अमर शहीद    नेहरू से भेंट के बाद अंग्रेजो ने अलबर्ट पार्क में घेरा, अपनी खुद की गोली से शहिद हुए अंग्रेज जीते जी ना छू पाए।            Legend Bhagat Singhअमर शहीद असंबली में बम फेंकने के जुर्म में जेल अंग्रेजों द्वार बहुत कम उम्र में बीना जुर्म साबित हुए  फांसी दी गई। बहुत कम उम्र में पढ़े लिखे क्रांतिकारी। (#कलर By Vikash Tanwar kheri) ...

#महाराणा प्रताप एक अद्भुत योद्धा

चित्र
#वीर महाराणा  #महाराणा प्रताप जी #Mharana Partap ji #एकलिंगी का दीवाना सरदार #राजपूत योद्धा #vikashtanwarkheri mharana pic #Vikash Tanwar Kheri

#मंजिल पाने कि : विकास तंवर खेड़ी

चित्र
# #विकास तंवर खेेेेडी ढूंढ रहे हो जिसका उत्तर, कोसिस ह जो पाने की, समय देगा उत्तर, इन्तजार करो, सही घड़ी के आने की, बस में है तो मेहनत करना, और कहीं नहीं जाने की, ढूंढ रहे हो बाहर में जिसको, जिसके बल पे बल पाने की, वो रास्ता खुद के अंदर ह, क्या जरूरत उसे ढूंढवाने की, पूछ रहे हो प्रश्न खुद से खुद को पार लगाने की, सही राह है यही प्यारे अपनी मंजिल तक जाने की, खुद को जानो सबसे पहले, फिर कोसीस करो कुछ कर दिखाने की। कविता:विकास तंवर खेडी

मैं वृक्ष हूं कविता by #vikash Tanwar Kheri #विकास तंवर खेडी

चित्र
मैं वृक्ष हूं मैं बहार हूं, मैं मानव रूपी शिशु को प्रकृति का उपहार हूं, देता हूं जीवन खोल कर, सुध शीतल मैं हवा, छाया मेरी सोखती धूप का एक एक रवा, इंसानी जरूरतों का पूरक हूं हर तार हूं, मैं वृक्ष हूं मैं बहार हूं, मेरे कण कण से बना पुष्प फलों का गुलसिता, फर्नीचर रंगपेंट में मैं उतरता आहिस्ता आहिस्ता, हर चीज में खुशबू मेरी मेरा पेट तक है रास्ता, इतना ही नहीं अंतरिक्ष तक मैं ले गया तुम्हे पार हूं, मैं वृक्ष हूं मैं बहार हूं, हे मानव पहचान करो अपने भाग्य पे ना गुमान करो, काटो तो लगाओ भी प्रकृति पे एहसान करो जीवन  हैं ये मित्र तुम्हारे पेड़, हरा भरा उधान करो, पानी खाद दो सम्हालो, इनका थोड़ा सम्मान करो विकास तंवर खेडी  मैं कहता यही हरबार हूं। मैं वृक्ष हूं मैं बहार हूं।