#मंजिल पाने कि : विकास तंवर खेड़ी

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#विकास तंवर खेेेेडी
ढूंढ रहे हो जिसका उत्तर,
कोसिस ह जो पाने की,
समय देगा उत्तर, इन्तजार करो,
सही घड़ी के आने की,
बस में है तो मेहनत करना,
और कहीं नहीं जाने की,
ढूंढ रहे हो बाहर में जिसको,
जिसके बल पे बल पाने की,
वो रास्ता खुद के अंदर ह,
क्या जरूरत उसे ढूंढवाने की,
पूछ रहे हो प्रश्न खुद से
खुद को पार लगाने की,
सही राह है यही प्यारे
अपनी मंजिल तक जाने की,
खुद को जानो सबसे पहले,
फिर कोसीस करो कुछ कर दिखाने की।

कविता:विकास तंवर खेडी

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